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|| Chardham Yatra मुक्ति धाम ||

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आपने लोगों को अक्सर कहते सुना होगा कि जीवन में एक बार चारधाम की यात्रा जरूर करनी चाहिए, चारधामों यात्रा में 4 चार पवित्र स्थानों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ अैर बद्रीनाथ की यात्रा को शामिल किया गया है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित चारधामों की तीर्थयात्रा को भारत में सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, ये चार प्राचीन मंदिर चार पवित्र नदियों के आध्यात्मिक स्त्रोत को भी चिन्हित करते हैं, जिन्हें यमुनोत्री, गंगोत्री, मंदाकिनी और अलकनंदा के नाम से जाना जाता है। ज्यादातर भक्तों ने उत्तराखंड की चारधाम यात्रा की होगी लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं। जो इन मंदिरों की अनदेखी कहानियों से परिचित होगें, आज मैं आपको चारधाम यात्रा से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बतांऊगी। चारधाम यात्रा वास्तव में एक पवित्र परिक्रमा है, कहा जाता है कि जब कोई तीर्थयात्री चारधाम यात्रा करता है तो वह वास्तव में चार पवित्र स्थलों की परिक्रमा कर रहा होता है। यह यात्रा उत्तराखंड के सबसे पश्चिमी मंदिर यमुनोत्री से शुरू होती है और फिर गंगोत्री बढ़ती है। उसके बाद केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ मंदिर जाती है।...

|| Books से जुड़े हम ||

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किताबों से जुड़े हम... 'किताब' बचपन में हम सभी जब पढ़ने जाते थे तो सबसे पहले किताबों का महत्व हमें बताया जाता था तभी हमारी शिक्षा की शुरुआत होती थी। जिससे विद्यार्थी को पता चलता था ज्ञान क्या होता है और ज्ञान कहा से आता है, ज्ञान से क्या मिलता है आखिर में ज्ञान क्या है और कहां से पाया जाता है जिसके बाद शिक्षक भी रुचि से बताते थे कि ज्ञान किताबों से मिलता है। "जितना ज्ञान किताबों से मिल सकता है,  उतना ज्ञान कहीं और से नहीं मिल सकता" किताबों को पढ़ने से बुद्धि का विकास होता है और हम अच्छे एवं साक्षर व्यक्ति बन पाते हैं। हमारे धर्म एवं संस्कृति में महाभारत, रामायण, पुराण,  कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब, वेद शास्त्र, श्रीमद्भागवत, बाइबिल जैसे कई धार्मिक ग्रंथ हैं जिन्हें भले ही हम साधारण पुस्तक समझकर पढ़ते हैं वह हमारे लिए लिखी गई हैं, चाहें पुस्तक कहो या किताब जिसे पढ़कर ज्ञान मिलता है वही हमारे लिए उपयोगी है। इन धार्मिक पुस्तकों में दुनिया के सभी सवालों के जवाब लिखे हैं ऐसा माना जाता है, अगर कोई इन पुस्तकों के ज्ञान को जाने अथवा पढ़े तो वह अपने हर सवाल का जवाब पा ...

|| Gangubai Kathiawadi film Review ||

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Gangubai Kathiawadi फिल्म की कहानी में काफी पोटेंशियल है. यह फिल्म गंगा के गंगूबाई बनने का सफर है। 'गंगूबाई चांद थी और चांद ही रहेगी।' सही भी है, 16 की उम्र में जिस लड़की को शरीर बेचने के लिए इशारे से ग्राहक बुलाने पड़े, इसके बावजूद वो उस अंधेरी गली की औरतों की जिंदगी में रोशनी लाने की कोशिश करे तो वो लड़की चांद ही कही जाएगी और इसी गंगूबाई की जिंदगी पर बनी है, संजय लीला भंसाली की फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी'। जिस लड़की को उसका अपना ही प्रेमी जिसपर वो अंधा विश्वास करती है, वही उसके भरोसे और सपने को हजार रुपये में कोठे पर बेच देता है, जिसके बाद गंगा हालात से मजबूर होकर घुटने टेक देती है या फिर हालात को ही बदलती है, इसपर ही फिल्म का ताना-बाना पिरोया गया है।  फिल्म 'गंगूबाई' (आलिया भट्ट) के सेक्स वर्कर से सोशल वर्कर बनने तक के सफर को दिखाती है। इसमें मुंबई में हिरोइन बनने का सपना लेकर प्रेमी संग घर से भागी गंगा का कोठे की चांद गंगू बनना, एक क्रूर ग्राहक के जुल्म के खिलाफ इंसाफ के लिए डॉन रहीम लाला (अजय देवगन) से मदद मांगना, और फिर उससे भाई-बहन...

|| आम से खास ||

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आजकल राजनीति का मौसम गर्म है. जहां देखो वहीं चर्चा है कि कौन-सी पार्टी जीतेगी. इस बार कौन राजा बनेगा. लेकिन यह तो चुनावों पर निर्भर करता है. इस बार किसकी सरकार बनेगी कौन-सी पार्टी बाजी मारेगी. किस पार्टी का मुखिया राजा बनेगा. राजा कोई भी बने लेकिन अभी तो लोगों को एक ही राजा का ख्याल आ रहा है. जी हां, आप सभी ठीक समझे- मैं बात कर रही हूं 'फलों के राजा आम'की.जो लोगों का सबसे पसंदीदा फल होता है.      भारतवर्ष में अधिकतर फलों में  भारतवर्ष में आम आम  ही पसंदीदा फल के रूप में देखा जाता है संदीप आम ही पसंदीदा फल के रूप में देखा जाता है।         भारत में दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय की तराई तक तथा पश्चिम में पंजाब से पूर्व में आसाम तक,  अधिकता से होता है.  आम का वृक्ष 50 - 60 फुट की ऊंचाई तक मांटूच जाता है. वनस्पति वैज्ञानिक वर्गीकरण के अनुसार आम ऐनाकार्डियेसी  कुल का वृक्ष है. आम के कुछ वृक्ष बहुत ही बड़े होते हैं. जिस तरह राजनीतिक पार्टियों के विभिन्न रूप होते हैं   वैसे ही भारत में उगाई जाने ...

|| हैशटैग (#) की परंपरा ||

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myशब्द  हैशटैग (#) की बात की जाए तो यह शब्द पुराना नहीं है हम सब इस शब्द से परिचित हैं, हैशटैग (#) का उपयोग आज के समय में भारी मात्रा में किया जाता है हर शब्द से पहले हैशटैग (#) लगाना अब कोई नई बात नहीं है लेकिन यह भी सोचने की बात है कि हैशटैग (#) का आना और हम सबके बीच अपनी एक अलग जगह बनाना कहां से शुरू हुआ होगा हमने कभी इतनी गहराई में जाने का सोचा ही नहीं...    खैर छोड़िए! हैशटैग (#) का प्रचलन और इसका इस्तेमाल दोनों में पहले से अब तक काफी बदलाव आ गए हैं जहां पहले शब्द को अनोखा बनाने के लिए हैशटैग (#) का प्रयोग किया जाता था अब वहीं हैशटैग (#) का उपयोग हम हर शब्द में करने लगे हैं।     खास तौर पर सोशल मीडिया में जहां देखो वहीं शब्दों को # से शुरू किया जाता है चाहें वह शब्द हैशटैग (#) का उपयोग करने लायक हो या न हो लोग हैशटैग (#) को यह समझकर इस्तेमाल में लाते हैं कि कोई भी चीज, कोई भी शब्द हैशटैग (#) लगाकर अनोखा बन जाएगा लेकिन हर शब्द को अनोखा बनाना और उस शब्द का खुद अनोखा होना इसमें भी काफी अंतर है।     हैशटैग ...

हम सब एक हैं- हिन्दुस्तान...

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समय

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'समय' यह शब्द कितना अनोखा अनोखा सा लगता है लेकिन जो कहा जाए यह सिर्फ शब्द नहीं है बल्कि सबको चलाने वाला एक जरिया है और खुद समय एक पहिये की तरह दिखता है, पहिया तो हम सभी ने देखा ही होगा और सिर्फ देखा ही नहीं बल्कि चलाया भी होगा पर समय का पहिया ऐसा है जो हम सबको चलाता है एक पहिये को हम चलाते हैं और समय का पहिया हमें चलाता है।     "समय की एक और खासियत है अगर हम इसके साथ नहीं चले तो पीछे रह जाएंगे और अगर साथ साथ चलें तो कुछ ना कुछ बन ही जाएंगे।"     इंसान की जिंदगी में समय बहुत मायने रखता है तभी बोला भी जाता है ' समय का सदुपयोग जीवन का अमोघ साधन है' ।            समय किसी के लिए नहीं रुकता और एक बार यह चला गया तो कभी लौटकर वापस भी नहीं आता हम जो करना चाहतें हैं, समय के साथ ही करें इससे कोई ऐसी चीज हमसे न छूट जाए जो बाद में हमें याद आए  क्योंकि वह समय निकल गया और जोषचला गया वह कभी वापस नहीं आ सकता।     "जी लेना चाहिये जिंदगी का हर पल क्योंकि बाद में सिर्फ यादें आती हैं जिंदगी के वो पल नहीं।"   ...