|| आम से खास ||
आजकल राजनीति का मौसम गर्म है. जहां देखो वहीं चर्चा है कि कौन-सी पार्टी जीतेगी. इस बार कौन राजा बनेगा. लेकिन यह तो चुनावों पर निर्भर करता है. इस बार किसकी सरकार बनेगी कौन-सी पार्टी बाजी मारेगी. किस पार्टी का मुखिया राजा बनेगा. राजा कोई भी बने लेकिन अभी तो लोगों को एक ही राजा का ख्याल आ रहा है. जी हां, आप सभी ठीक समझे- मैं बात कर रही हूं 'फलों के राजा आम'की.जो लोगों का सबसे पसंदीदा फल होता है.
भारतवर्ष में अधिकतर फलों में भारतवर्ष में आम आम ही पसंदीदा फल के रूप में देखा जाता है संदीप आम ही पसंदीदा फल के रूप में देखा जाता है।
भारत में दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय की तराई तक तथा पश्चिम में पंजाब से पूर्व में आसाम तक, अधिकता से होता है. आम का वृक्ष 50 - 60 फुट की ऊंचाई तक मांटूच जाता है. वनस्पति वैज्ञानिक वर्गीकरण के अनुसार आम ऐनाकार्डियेसी कुल का वृक्ष है. आम के कुछ वृक्ष बहुत ही बड़े होते हैं. जिस तरह राजनीतिक पार्टियों के विभिन्न रूप होते हैं वैसे ही भारत में उगाई जाने वाली आम की किस्मों में दशहरे, लंगड़ा, चौसा, फजली, बम्बई ग्रीन, बम्बई अलफॉन्जो , बैंगन पल्ली, हिम सागर , केशर किशन भोग , मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू हैं. नहीं आम की नई किस्मों में मल्लिका, आम्रपाली , रत्ना,अर्का अरुण, अर्मा पुनीत , अर्का अनमोल तथा दशहरे - 52 प्रमुख प्रजातियाँ है. वैसे ही उत्तर भारत में मुख्यतः गौरजीत, बाम्बेग्रीन, दशहरी, लंगड़ा, चौसा एवं लखनऊ सफेदा प्रजातियाँ उगाई जाती है. आम की प्रजातियों से लेकर भारतवर्ष में आम से जुड़े अनेक लोकगीत आख्यायिकाएँ आदि प्रचलित हैं और हमारी रीति, व्यवहार, हवन, यज्ञ,पूजा,कथा, त्यौहार तथा सभी मंगलकायाँ में आम की लकड़ी, पत्ती,फूल अथवा एक न एक भाग प्रायः काम आता है। इसके अलावा ‘फलों का राजा आम ’बहुत तरह से उपयोग किया जाता है। कच्चे फल से चटनी, खटाई, अचार मुरब्बा आदि बनाते हैं। पके फल अत्यंत स्वादिष्ट होते हैं और इन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं।
ये पाचक, रेचक और बलप्रद होते हैं। चूँकि कहा जाता है- ‘खान-पान अच्छा तो जीवन बचेगा बच्चा’। किसी भी व्यक्ति के लिए खान - पान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है।
आम के कई प्रयोगों से आम के खास होने का पता चलता है इससे यह पता चलता है कि ‘आम भी खास हो सकता है’- जिस तरह आम अपने महत्वपूर्ण गुणों से प्रसिद्ध है वैसे ही राजनीतिक व्यक्तियों में भी खास गुणों का होना आवश्यक है तभी वह आम से खास बन पाएंगे। जिससे न केवल उनका बल्कि और लोगों का भी भला कर पाएंगे। हमें आम से खास बनने के लिए केवल अच्छे गुणों, अच्छे आचरण, अच्छे व्यक्ति, अच्छे विचारों का पालन करना चाहिए, तभी हम ‘आम से खास’ तक का रास्ता पा सकेंगे।
मैंने अपने शब्दों में बस यही कहा है कि –
आम से खास, सबको आए रास
तुम बनाओ नीति, कैसी यह राजनीति।
लेखक:- रिया तोमर
जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन
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